वैदिक वास्तुशास्त्र

vastuएक अच्छे , उन्नतिशील एवं सुखी घर की परिकल्पना मनुष्य जीवन की अच्छी किस्मत के अलावा निर्माण के वास्तु पर अत्यधिक निर्भर करती है I जो भी प्राणी किसी भवन विशेष में निवास या व्यवसाय करके उन्नति को प्राप्त हुए हैं I उन भवनों को वास्तु शास्त्र से देखने पर पता है कि वह काफी कुछ हमारे वैदिक वास्तु ज्योतिष के अनुसार बने हुए हैं I
जिन भवनों में भवन निवासियों को अनेकानेक कष्ट प्राप्त होते  रहते हैं, जैसे संतान की उत्पत्ति  होना, आर्थिक, मानसिक, अथवा शारीरिक स्थिति का  होना पुश्त दर पुश्त आने  पीढ़ी अवनति की ओर जाना, दंगे फसाद  होना इत्यादि I   इन भवनों के वास्तु का अध्ययन करने से पता चलता है की कही न कहीं  वास्तु दोष है I आलेख के माध्यम से आप वास्तु दोष से मुक्त हो सकते है I घर  का स्वामी अपनी मानसिकता के अनुसार पूजा स्थान में परिवर्तन कर सकतें हैं एवं शुभ फल को प्राप्त कर सकते हैं I सामान्य तौर पर वास्तु शास्त्र  अनुसार सर्वश्रेष्ठ पूजा स्थान को उत्तर – पूर्वी दिशा में ईशान कोण में होना चाहिए I ऐसा  माना जाता है की जिस समय वास्तुदेव पृथ्वी पर स्थापित हुए वह अधोमुख थे उनका शीश उत्तर -पूर्व की दिशा में था और उसी अवस्था में वो ईश्वर की वंदना कर रहे थे I सामान्य  अनुसार पूजा का स्थान उत्तर -पूर्व चाहिए I विशेष जानकारी के लिए हमारी वेबसाइट पर दिए गए नंबर पर संपर्क करे I